कीकीहीहीहीतहैहैहैहैहैहैहैहैहैहैहैँँँँँँपहुँचनेपहुँचनेकीकीकी यह आध्यात्मिक उत्कर्ष की वह दिव्य तपः स्थली है, जहाँ साधक अपनी साधनाओं में अमृत सिद्धि प्राप्त करने के बाद सशरीर अथवा देहपात के पश्चात् भी पहुँचने का सौभाग्य प्राप्त करके न केवल स्वयं दिव्याभास से परिपूर्ण बनता है, अपतिु विश्व कल्याण के अपूर्व सामर्थ्य को प्राप्त करके अपनीवीकेजीवनकीमिनीमिनीउननतिनति
तुम-ट-पूजपूजूदेवूदेवकेकेकेनकनकनकनकनकआआआआथथथथतुमतुमतुमउसनननननविभूतिको मोटे पोखरों से पानी की आशा लिये भटकते रहते हो।'
अभीतोचेतचेतचेतयेबहुचचितनेनेलेले उनकी खुद की झोली फटी है, वे तुमको क्या देंगे—?
हमयोगियोंकोकोकोमेंतुमलोगोंकीपहंसी तुम्हारी दशा तो उसी मूर्ख भिखारी की तरह है, जिसे दैवयोग से हीरो की थैली तो मिली और उसने कंचे समझ कर उन्हें रास्ते में बैठे बच्चों में बांट दिया— हम जब-जब तुम्हारी स्वार्थपरता, चालाकी और मक्कारी देखते हैं, तो हमें तरस आता है कियेहैं,जोजोकेकेकेकभीभीभीभीकेहीहीही
मुझेऐसेकीनहींनहीं,जिनमें,जिनमेंहो,विहोहोसहनेसहनेसहनेकीकीनननननननननननननननननजोजोजोजोजोजोज मुझे तो वे शिष्य प्रिय हैं, जिनमें बाधाओं को ठोकर मारने का हौसला होता है, जो विपरित परिस्थितियों पर छलांग लगाकर भी मेरी आज्ञा का पूर्ण रूप से पालन करने की क्रिया करते हैं, जो समस्त बन्धनों को झटक कर भी मेरी आवाज को सुनते हैं— सऐसेऐसेऐसेअंशअंशतेतेतेतेतेतेतेतेममसवतःवतःहीमेेेेेहोठों
पूतोभवहोतीहोती,जबजबूूूूकेकेकेणोंणोंणोंणोंणोंणोंणोंणोंणोंणोंआंसुओंआंसुओंआंसुओंआंसुओंआंसुओंआंसुओंआंसुओंआंसुओंसेउनकेणोंणोंणोंणोंणोंणोंणों ' शब्द ही निकले।
समथसेनहींहोहोननहीूूकीकी समयहैहैजोदेदेदेदेदे