जीवन,कष,,पीड़,भय,भय,भय,भय,ड अतःइनविषमणहेतुहेतुतियोसहयोगहै नवरात्रि के अनुष्ठान स्वरूप में पूर्णता दिवसो में जीवन की अन्धकारमय नारकीय स्थितियों व कदम-कदम पर आने वाली बाधाओं, अड़चनो, दुविधाओं व शत्रुता पूर्ण कुस्थितियों के समाधान हेतु सर्वश्रेष्ठ स्वरूप में महाकाली-धूमावती साधना-दीक्षा शक्तियो को रोम-रोम में स्थापित कर सम्पूर्ण जीवनमहालक्ष्मीमयधनशक्तिमयबनसकेगा।