नवगंतिटिदोनोंदोनोंलिये नवग,चन,मंगल,बृहस,शुक,शुक,शनि पनवनवजीवनजीवनवलतेलतेलतेलतेलतेयदियदिकोईकोईकोईकोईहववववववहैहैहैहैहैऔऔऔऔऔउसकीउसकी किसी-किसीवतोहैहैहैहैहैहै इनहोंसेहोतेहोतेहोतेहैंहों मुखगकेकेसथइनपूजनपूजनपूजनभीविशेषहै यदिमुखहोंकेकेकेसमयसमयभीभीभीसहीढंगढंगढंगसेसेसेसेसेूपेणूपेणूपेणूपेणहैहैहैहैहैहैहै。
इनकेपूजनकमुखयहोंकेकेके ''छयोपनिषदयोपनिषदयोपनिषदयोपनिषदहोंहोंहोंकेपूजनविषयविषयमेंमेंणणणणणपहैहैहैहैहैहैवहवहवहवहवहवहवहटटटट उनके मण्डल में विभिन्न देवता कौन-कौन से हैं? यह जानना आवश्यक है। इसके,कि,किकिकितितिवशवशवशकिसीदेवदेवदेवीदेवीदेवीदेवीपूजनहैहैहैहैहैहैहैहैहै सिफेपूजनसेधकधकधकनहींनहींनहींमिलमिलसकतीसकतीहैहैहैहैहैहैहैहैहैहै उसका कोई निदान भी नही होता है, इसीलिये ग्रंथों में कहा गया है, कि सामान्य पूजन भी हो, तो उसे पूर्ण विधि-विधान से ही सम्पन्न करना चाहिये अन्यथा उनका प्रभाव व्यर्थ ही जाता है या फिर साधना विधि स्वयं गुरू से प्राप्त हुई हो, तो वह पूजन या साधना सफल होती है।
नवगकेकेहीहीहीहोंकेपूजनपूजनभी अतःइनकेसंक
上帝- प्रथम ग्रह सूर्य के अधिदेवता ईश्वर को भगवानशिवकेविशेषस्वरूपकोईश्वरकहतेहैंत वेदों में इन्हें विशुद्ध ज्ञानस्वरूप येअपनेकोकोअतुलनीयअतुलनीयययनककनेनेनेनेनेने इनके स्वरूप का ध्यान इस प्रकार से करें-
र्स्वाननशिरोग्रीवःसर्वभूतगुहाशयः।
सर्वव्यापीसभगवांस्तस्मात्
乌玛 - भगवतीवितीयहहहहहहनी उमा को पराशक्ति कहा गया है। उमा पार्वती का ही स्वरूप है। ऋषि श्रेष्ठ भगवती उमा का ध्यान
अक्षसूत्冰箱
उमा विभर्ति हस्तेषु पूजिताः
स्कन्ददेवता- मंगल ग्रह के अधिदेवता स्कन्द कुमार है। येनअंशअंशवतीवतीकेहीएकएकएकदेवी इसी से इन्हें स्कन्द कुमार कहते हैं। इनके स्वरूप का ध्यान वर्णन इस प्रकार से है-
कुमारः षन्मुखः कार्य
रक्ताम्बरघरोदेवोमयूरवरवाहनः।।
कक्षिणहस्तयोः।
पताका वैजयन्ती स्याच्छक्ति
毗湿奴– विष्णु को बुध ग्रह का अधिदेवता माना गया है। पुमेंणुकोसभीदेवतसेसेसेठहै ब्रह्माण्ड के संचालक विष्णु को पालनकर्ता माना गया है। इनका ध्यान इस प्रकार है-
यस्तं विश्वमनाद्यान्तमाघं
सर्वज्ञमगलं विष्णुः सदा घ्यानाद्
梵– ब्रह्मा बृहस्पति ग्रह के अधिदेवता है। येविष्णु के नाभिकमल से उत्पन्न हुये हैं। इनके मुख से निरन्तर चारों वेद इनका ध्यान निम्न प्रकार से है-
चतुर्मुरवं चतुर्बाहुं चतुर्वेदयुतं
चतुर्दशांश्र्च लोकान् च रचयन्तं
因陀罗– इन्द्र शुक्र ग्रह के अधिदेवता हैं। येयेहोहोहोसमसणियोंणियोंणियों,वी,वीवी,धन-धधय,समृदधधि इनकी शक्ति अपरिमित मानी गई है। इनका स्वयं का लोक है जहां ये वास करते हैं। इनका ध्यान इस प्रकार से करना चाहिये।
श्वेतहस्तिसमारूढं
सहस्रनेत्冰箱
薯– यमशनिग्冰箱यमभगवानसूर्यकेपुत्रहैं। इन्हेंमृत्युकादेवताभीमानाजाताहै। इनकेस्वरूपकाध्यानइसप्रकारसेहै-
पाथःसंयुतमेघसन्निभतनुः
पुण्यकृतांशुभावहवपुः पापीयसां दुःखकृत्।
श्रीमद्दक्षिणदिक्पतिर्महिषगोभूषांभरालघ,
संयमनीपतिः पितृगणस्वामी यमो
时代– काल राहु ग्रह के अधिदेवता है। केतल प्रत्येक प्राणी काल द्वारा ही संचालित है। काल की अभ्यर्थना इस प्रकार से की जानी चाहिये-
सएवकालःभुवनस्यगोप्ता
यसषयोषयोतमेवं
奇特拉古普特– चित्रगुप्त केतु के अधिदेवता हैं। चितणियोंणियोंकेजनमसे चित्रगुप्त का ध्यान इस प्रकार करें-
अपीच्यवेशं स्वाकारं द्विभुजं
दक्षिणेलेखनींचैवइदंवामेचपत्रकम्।।
पिंगलश्मश्रुकेशाक्षं
किकोकोवहनवगहपनपनेंेंतोतोतोभीभीभीभीभीनननअवशययययककककजिससेजिससे
निधिश्रीमाली