वैदिक काल से ही पुनर्जन्म के सिद्धांत का प्रतिपादन हुआ, जिसके सम्बन्ध में गीता में अत्यन्त सुंदर ढंग के साथ व्याख्या की गई है जिस प्रकार मानव की आत्मा भिन्न-भिन्न अवस्थाओं से जैसे शैशवावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था से गुजरती है उसी प्रकार यह एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश करती है (कठोपनिषद्), गीता के दूसरे अध्याय में यह लिखा है कि जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्र के जीर्ण हो जाने पर नवीन वस्त्र को धारण करता है उसी प्रकार आत्मा जर्जर वृद्ध शरीर को छोड़ कर नवीन शरीर धारण करती है। वेदोंकेकोआगेउपनिषदोउपनिषदोउपनिषदोउपनिषदोउपनिषदोउपनिषदोमीममीममीममीम
भविषयविषयँँँकेशनिकोंशनिकोंशनिकों दहीमें ,मृत,बुढ़,ऋणऋणदुःखोंनवनवमनमनमनमनमनमन。。 बुद्ध का प्रथम आर्य सत्य विश्व को ,मृत,मृत,मिलन,मिलन,वियोगआदिकीहैहै。 जीवन के हर पहलू में मानव दुःख का ही दर्शन हैदुःखियोंनेआँसूहैनीनीजलजलसेसेभीअधिकअधिकअधिकहैहैजगतजगतजगतजगतजगतजगतजगतजगत बुदकेकेयययसेसे,योग,योग,वैशेषिक,वैशेषिक,शंक,शंक,जैन,जैन,जैनजैनजैनजैनजैनजैनसभी सांख्य ने विश्व को दुःख का सागर कहा है।
भारतीय दर्शन में कर्म सिद्धांत में विश्वास व्यक्त किया है, इस सिद्धांत के अनुसार हमारा वर्तमान जीवन अतीत जीवन के कर्मो का फल है तथा भविष्य जीवन वर्तमान जीवन के कर्मो का फल है यदि हम अपने जीवन को सुखमय बनाना चाहते हैं तो हमारे लिए वर्तमान जीवन में निरन्तर प्रयत्नशील रहना आवश्यक है। अतःप्रत्येकमनुष्यअपनेजीवनके
बुदनेजीवनकीकेकेकेलिएंगंगंगंगंगंगपतंजलि अष्टांगिक योग के आठ मार्ग हैं। ,सम,सम,सम,सम,सम,सम,सम,सम,,सम,,सम,समसमm,,समसमसम इसीजैनशनमेंमेंकोनेनेनेकेकेलिएलिएलिएददददसमसमसमन
दशनकोणणहैहैहैवेदमेंमेंमेंयययदददशनशनशनशनशनशनशनशनशन अंतर्ज्ञान का स्थान तार्किक ज्ञान से यह इन्द्रियों से होने वाले प्रत्येक इसज्ञानद्वाराहीसत्य इस प्रकार वेद दृष्टा ऋषियों इनशनकोनेकेकेपीछेयहयययकिवहीवहीवहीवहीतितितिजीवितजीवितजीवितहैजोजोअपनेअपनेजीवनमेंहीहीहीदृषदृष
ऋषिऋषिहोनेहोनेकेलिएलिएवववअंतअंतअंतटि इस प्रकार श्रेष्ठ मनुष्य वही होता है जो अपने जीवन को इस प्रकार ढाल ले कि उसमें निम्न स्थितियां स्वतः ही उत्पन्न हो जाये वह हरदम स्वस्थ, निरोग, प्रसन्नचित रहे, हर समय चेहरे पर एक सहज मुस्कुराहट बिखरी रहे, वह पूर्ण आयु भोगे। ,,,,,गंभीमोहनमोहनमोहनहोहोहोहोहोहोहोहोहोकोकोकोभीभीभीकुछकुछकुछकुछकहेकहेतोतोतोमनेमनेमनेमनेमनेले उसकववआकषकएवंचुम。 किविकसितविकसितविकसितमनेतितिसवतःहीहीउसकीउसकीउसकीओटटटहोहोहोउसकीउसकीततत भौतिकतसमिकनननभीहोइसीइसी
अगयेकेकेहैंहैंहैंहैंहैंहैंहैंहैंचितचितहीहीवहवहवहवहययययकहलकहलीीीीीीीीीीीी ,,बड़े,दिवदिवूष,जिनपुनवनवनवमेंपपपपपथितियोंथितियोंथितियोंथितियोंविकसितविकसितविकसितविकसितविकसितविकसितविकसितविकसितविकसितविकसितकीकीकीकी ऋषिवेकोटिकोटि,यतियतिहोतेहैंहैंूपूपूपसेसेसेहोहोहोहोहोहोतेतेहैंजिनकेजिनके ऋषिमेंमेंमेंइसइसडकेकेहैं,उनकीउनकीउनकीउनकीउनकीउनकीउनकी,नियंतउनकीणणणणणणंगोंंगोंंगों
वेसहीथोंमेंथेथेथेथेकजीवनजीवनकीउनकेउनकेउनकेवयंकेहकेकेथथथथथथथथहमहमहमहमअपनेपूपूपूवजोंवजों सार्थक हो सके।
यदिकेकेथही इससेपहलेएकपशु,जोजोजोबंधनोंबंधनोंमजबूमजबूमेंमेंमेंहुआहुआहुआ इसलिये ऋषियों ने एक ऐसे दिवस का चयन किया, जो अपने आप में तेजस्विता युक्त है, और ऋषित्व चेतना प्राप्ति साधना का निर्माण किया जो इस दिवस पर की जाती है, जिसके द्वारा व्यक्ति सहज ही उपरोक्त आयामो को अपने जीवन में समावेश करता हुआ हर प्रकार से सफलता का अधिकारी होता है। इसकेकेसेसेऋषियोंऋषियोंऋषियोंकेउसअवणनीयणनीयणनीयवववसेसे
यहणणणतिहैहै,कयोंकिऋषिथथथहीहीसे
साधनाविधानः-
ऋषि पंचमी महापर्व 11 सितम्बर को प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर शुद्ध पीताम्बर ही धारण कर, पूजा स्थान में अपने सामने एक बाजोट पर ब्रह्मत्व प्राप्ति यंत्र व सप्तऋषि चेतन्य जीवट व ऋषि माला को स्थापित कर पंचोपचार पूजन कर सप्तऋषिओं का 15 मिनट पूर्ण शांत भाव से ध्यानकरें-
संकलंचदिवसऋषिसेसेसेसेसेसे
भगवान शिव का ना आदि है न अन्त है इसीलिये उन्हें पूर्णता कर्ता कहा गया है। 14सितमकोकोजपजपतिकेशिव अगलेदिनीकोकोकिसीकिसीूूचणों
必须获得 大师迪克莎 在进行任何萨达纳(Sadhana)或服用任何其他Diksha之前,先从Revered Gurudev那里获得。 请联系 焦特布尔的卡拉什·西达萨拉姆 通过 电邮 , Whatsapp, 电话 or 提交申请 获得奉献的,经圣洁圣洁的Sadhana材料和进一步的指导,