जबभूोंोंों ब्रह्मा जी ने सभी देवी-देवताओं के साथ श्वेत दीप पर पुरूष सूक्त के श्लोकों से भगवान विष्णु की प्रार्थना की तब भगवान विष्णु ने उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर यह वरदान दिया कि मैं शीघ्र ही यदुवंश में कृष्ण के रूप में अवतरित होकर पृथ्वी को पाप से मुक्त करूंगा तथा पुनः धrie
दयुगपदपदपदषकीकीकीटमीकीकीकीकीििििि यहिििहैंंननही शीणसवसवसवववटमीटमीटमीटमीटमी भिनभिननआजआजआजभीभीआजआजजैसेजैसेजैसेजैसेजैसे
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भगवीणण जो व्यक्तित्व सोलह कला पूर्ण हो, वह केवल एक व्यक्ति ही नहीं एक समाज ही नहीं, अपितु युग को परिवर्तित करने की सामर्थ्य प्राप्त कर लेता है, और ऐसे व्यक्तित्व का चिंतन, विचार और धारणा से पूरा जन समुदाय अपने आप में प्रभावित होने लगता है ।
वाक्सिद्धि- जोभीबोले,वेवेमेंमें,वेणणणणवे ऐसेव्यक्तिमेंश्रापऔरवरदानदेनेकीक्षमताथथथथ
दिव्यदृष्टि- ,जिसकेकेधमेंमेंमेंमेंभी,उसक,उसकभूतभूतभूतभूतभूतभूतभूतभूतऔऔनननननननएकदममनेमनेमनेमनेमनेआआआआआआआआआ
प्रज्ञासिद्धि- मेद्याअर्थात्स्म冰箱जनकेेेविषयोंजोधिधिधिमेंसमेटसमेटहैहैवह
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空中交通- वयययतिअपनेकोकोकोूपूपमेंमेंमेंमेंतिततिततिततितएकएक
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पूर्णपुरूषत्व- अद्वितीयप 你श्冰箱जिसकेणहोंनेजभूमिजभूमिजभूमिजभूमि पूेजीवनयभूमियभूमियभूमियभूमिम
सर्वगुणसम्पन्न- जितनेभी,सबतगुणगुणगुणगुणहोतेगुण जैसे-दया, दृढ़ता, प् 你इनहींणवेवेतिेेेमेंमेंमेंमेंमेंमेंठतमठतमठतमयययययय
安乐死 इनकलाओंसेपूर्णव्यक्तिकालजयीहोताहै। ककोईकोईबनबनधनधनधनधनधनधनजबजबहेहेहेहेअपनेअपनेहेतत
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संतान प्राप्ति के लिये कृष्ण की साधना सभी व्यक्ति करते हैं, लेकिन इसके साथ ही साथ यह तथ्य भी ध्यान में रखना चाहिये कि केवल संतान, प्राप्ति होना ही जीवन का सौभाग्य नहीं है, अपितु संतान चाहे वह पुत्र हो या पुत्री हो जबकि योग्य होना आवश्यक ,औ,औउसमेंणनमममगुणोंगुणोंसससससभी
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ऋषिन्यास-शिरसिनारद-ऋषयेनमः, मुखे
गायत्冰箱
करन्यास-क्लांअंगुष्ठाभ्यांनमः। क्लीं
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करतल-कर-पृष्ठाभ्यांफट्।
अवकोषकोषकोषभोज
बालोजड़ाकटी 你好
दोभ्यॉहैयड़वीणंदधदतिविमलंपायसंविश्ववन्थ
गो-गोप-गोपवीता冰箱
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स्नान आदि के पश्चात् अपने पूजन स्थान में पीले वस्त्र धारण कर अपने सामने चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछा कर उसके ऊपर एक दीपक लगायें, दूसरी ओर धूप, अगरबत्ती जलायें, दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर सर्वप्रथम गुरू पूजन के साथ गणपति का ध्यान सम्पन्न करें। इसके पश्चात् चौकी पर चावल की एक ढेरी पर सुदर्शन कवच स्थापित करें तथा चारों ओर कृष्ण के अस्त्र शस्त्र प्रतीक आठ जीवट चक्र स्थापित करें, ये अष्ट जीवट चक्र भगवान श्रीकृष्ण के आठ हाथों में स्थित शंख, चक्र, गदा, पद्य, पाश, अंकुश, धनुष,श,तथ,तथ,तथ,केस,केसयेक,केस,केसकुंकुंमकुंकुंमवलवलवलतेतेहुयेहुये
ॐशंरवायनमःॐचक्रायनमः
ॐगदायैनमःॐपद्यामनमः
ॐपााशायनमःॐअंकुशायनमः
ॐधनुषेनमःॐशरायनमः
संकलअबअबअपनीअपनीुशशशकी
3 XNUMXदिनजपकेदिनदिनईईईशनशनशनकवचआठोंआठोंआठोंजीवटकोकोकोएकएकएकएकललललललकपड़ेकपड़े
इस साधना हेतु साधक कृष्णजन्माष्टमी की अर्ध रात्रि में अपने सामने सर्वप्रथम एक बाजोट पर पुष्प बिछा दें और उन पुष्पों के मध्य इच्छा पूतिं यंत्र स्थापित करें, कुंकुंम चन्दन अक्षत से पूजन सम्पन्न करें, अपने सामने कृष्ण का एक सुन्दर चित्र स्थापित करें, चित्र को कुंकुंम अकसेदददमृतमृतमृतमृतवयअअपितपितपितपितपितपितपितपितपितपित
वामो冰箱
अक्षमालांचदक्षोर्ध्वे,स्फटिकीमातृकामयीम्
शब्दब्冰箱
गायन्तंपीतवसन्तं,श्यामलंकोमलच्छविम्।।
वहिव 你 我们
सर्वचेतनाधारयामिउपासितंतिष्ठेद्वरिंसदा।।
ध्यानकेबादअष्टशक्तियोंकानामउच्चारणकरें-
ॐलल्मयैनमः,ॐसरस्वत्यैनमः,ॐरत्यैनमः,ॐप्रयी।
ॐकीत्यैनमः,ॐकान्त्यैनमः,ॐतुष्टयैनमः,ॐप्यैनमः,ॐतुष्टयैनमः,ॐप्यथ
धनकेइचपूपूसेसेसे
सधकमेंहोहोहोहोगजगजगजगजनननननन कपडे़मेंबाँधकरमंदिरमेंरखदें।
भगवान श्रीकृष्ण ने पूर्ण पुरूष और महामानव के रूप में धर्म पालन, आध्यात्मिक विचार, ज्ञान-विज्ञान, मैत्री, गुरू भक्ति, मातृ-पितृ सेवा, पत्नी प्रेम, स्त्री सम्मान व आदर, राजनीति, रण कौशल, विविध कला निपुणता, असुरवृति युक्त अत्याचारियों कशमनओंसभीोंोंमेंशशपनपनपनननण
,,ध,यश,यश,श,ज,जजयययइनमममममममभगभग ऐश-उसउसतिकोकोकोकहते धर्म- उसका नाम है, जिससे सभी का मंगल और उद्धार हॾथहहोत यश-अनन्तब्रह्माण्डव्यापिनीमंगलकीर्तिहै। श-बकीकीकीत ज्ञान-ज्ञानतोस्वयंभगवानकादिव्यस्वरूपहीथ वै-सशकशकआदिआदि सलततकेकेकेकोको
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