,जैन,जैनधमेंनकोएकएकएकके षकीओंओंहेहेहेवैदिकलेहोंजैनजैनजैनबौदबौदममममपपपपपकेके पमतमतननएकएकएकसनसनसन,जिसकेजिसकेहैहैलललललमेंतिति म-जीवन-द-ददकेकेकेततवोंवोंवोंकोकोकोकत इसीकेलियेततमिकमिकनिनिकीकीगई
आतकीकेकेलियेशयशयकोकोहै कहीचिंतनहनेहनेणणजीवजीव इस प्रकार चित्त अशुद्ध होता रहता है। आजयुगयुगमेंमनुषभौतिकभौतिकवैभवकोहीहीककनेनेनेकेकेकेलिएलिएलिएलिएलिएसततसततकमममममममहैहैहैहैहैहैहैहैहैहैहैहै जैसेधूलधूलतेंतेंजमीजमीहैधूमिलहैहैहैहैहैहैहैहैहैहैहैचितचितचितचितचितचितचित जबकीतीहैहैहैेेेततहैहैऔऔऔजैसेजैसेजैसेजैसेजैसे आत्माकीहीदिशा
भमेंमेंकेकेकेकेपकपक गीतजुनसेपूछतेपूछतेपूछतेपूछतेपूछतेपूछतेहहचंचलचंचल,इसहैहैहै कृषहै,किकिससकेमनमनमनकोकोकोकोित कृषअजुनसेसेसेसेहैहैहैहैहैहैहैहैमनमनमनसववववहैहैऔऔमन चंचलतहीययमनहैहैहैहैहैअनेकअनेकअनेकअनेकअनेकअनेकअनेकअनेकअनेकथोंथोंथोंथोंथोंगगगदददददद इनकोकोनेनेसेसेसेंतिंतिंतिनिनिमितमितमितहैहैहैससममदददशनशनशनशनशन जैसे-जैसेकीकीकीपहोतीहोतीहोतीहोतीहोतीहोतीहोतीहोतीहोतीमनुषमनुषकेकेकेकेकेके वह,स,सनकोकोवहणणणणि-जगत-जगत-जगतजगतकेकेतितिति उसके अन्तः प्रान्तर में सदाचार
वैदिक परम्परा में ध्यान, योग-दर्शन का ,लययोग,लययोगवैदिककीकीहैंहैंहैं,जिनजिनहेंहेंहेंहेंहेंनयोगनयोगनयोगनयोगनयोगकककमयोगमयोगसे यजुमेंहैहैयोगीयोगीआनंदआनंदआनंदूपूपमीमी ऐसीकोकोकगहनगहनआधआध केमेंथमथमथमजजसितसितसितसितसितहोतीहोतीहोतीहोतीहोतींतधककीवृत अन्ततः वह ब्रह्मस्वरूप में स्थित हो
योगेंेंततःततःयहहैहैहैहैहैथथथशहीमें ध,चूंकिएकअंग,अतःहैहैहैभिकभ धकीनेनेनेयेकयहयहयहयहअनुभवहैहैहैहैकिननननकेंतंतशशमेंमेंमें जैसे,जैसेजैसेमनसकेकेके
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वैदिकमेंयोगशकेकेकेकेकेतकतकतकतंजलिनेनेनेनेननकीकीकीकीकीकीकीकीकीणणणणप बहिरंग और अंतरंग इसके दो पक्ष हैं। बहि,नियम,नियम,नियम,आसन,आसन,आसनमममएवंएवंएवंनननननननकोकोकोकोकोिगणितिगणितिगणितहैहैहैहैहैहैहैहैहैहैहैंग समाधि, सम्पूर्ण साधना की परिणति है। इसकोकोमनुषमनुषकेकेकेकेहोहैहैहैहैतत जैन धर्म-दर्शन का सार आत्म-तत्व चिन्तन में है। इसचिंतन में ध्यान एक महत्वपूर्ण आयाम है॥ केइसीमेंकीकीभौतिकओंओंकेकेकेकेकेमेंमें जैन-धमेंहैहैशयकेकेकेहुयेहुयेकेकेकेकेकेमेंमेंमें इसके लिये ध्यान प्रधान साधन है।
बौद्ध-दर्शन में भी ध्यान का महत्व इस प्रक्रिया से चित्त-शुद्ध होता है। बौदमेंमेंयःयःजितजितजितजितजितजितपिहैहैहैहैहैहैकिनननत बौददशनशील,समऔइनइनूपोंमेंमेंनकीकीकी समाधि, कुशलचित्त की एकाग्रता कही गई है। इसका प्रारम्भिक सोपान शील में बौददशनहैहैहैहै तृषणहीहमअनंतकेकेमें तृषविजयलिये-विवेक-विवेक-विवेक-विवेकविवेकहै。 तभीशीलमेंहोतीहोतीहोतीहैययययनननधिधिधिधिकेकेमें
पकोईभीहोहोकेससेसेजजयोतियोतियोतिझलकनेझलकनेझलकनेलगतीलगतीहैएकएकएक शुूतोहैहैहैहैहैहैजैसेजैसेजैसेजैसेतशुदहैहैहैहैहैहै यहप्रकाश-वृत्त शनैः शनैः प्रखरतर होता फिउसमेंमेंमेंकेके षड्चक्रों का स्वरूप भी भासित होता है। ,प,च,च,सूयआदिकटहोने,जोकटलगतेलगतेलगते सर्पाकृति में कुण्डलिनी का बोध होने लगता है। स्वयंभूशिवलिंग भी साफ-साफ दिखाई देने लगता हैै यह सब अनुभव ब्रह्मरन्ध्र के खुल तब सूक्ष्म शरीर के प्रत्यागमन सूकसेसेबडडकेकिसीभीभीकोनेहैहैहैहैहैकहींकहींकहींकहींभीघटितहोनेहोनेहोने ऐसी विलक्षण होती है ध्यान की शक्ति।
सस्नेहआपकीमाँ
शोभाश्रीमाली
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