भगवकोूषभीहैहैहैहैटिकेकेपुपुननननणुणुथेथेऔऔउनके भगव,लेकिन,लेकिन,लेकिनगुणकहतेकहतेजिसजिसजिसजिसतितितितितितिोंोंोंगुणोंउपउपउपंतंतंतंतभीभीभीछःछःछःगुणछः - शक्ति, 1- ओज, मुख्य हैं। 2-ध3-ऐश4-ऐशछःछः,5-धधऐश,6-धकीम,1-कीकीति यहछःणहोतेहोतेहोतेहोतेवेवेहैंहैंहैंहैंहैंहैंहैंननवववतियोंतियोंतियोंतियोंतियोंलियेकेकेलिये भगवना शब्द का परमात्मा के लिये
भगवमेंमेंएकएक इसकेपीछेबडीतहैहै,सृषसृषअंकअंकअंकअंकहीअंकअंकअंकअंकअंकहैहैहैइससेइससेनिनिनिनिनि चतुर्भुजधारी भगवान विष्णु के अंदर ज्यों ही सृष्टि रचना का संकल्प हुआ, त्यों ही उनके नाभि कमल से चतुर्मुख श्री ब्रह्माजी का जन्म हुआ, उनके हाथों में चार वेद- साम, ऋग्, यजुः एवं अथर्व थे और उनके चारों मुख चारों ओर- उत्तर, दक्षिण , पूर्व तथा पश्चिम की ओर थे।
इसकेबादश्冰箱ानुसा冰箱गोअण्डज,जरायुज,स्वेदजएवंउभ्दिजमेंविभाजित किीवनकीव्यवस्थाभीचार अवस्थाओंमें-जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्तिएवंतुर ीयमेंकी। तत्पश्चात्श्रीविष्णुनेमानवीयसृष्टिकीरच ना अपने चारो मानस पुत्冰箱त्कुमारएवंसनातनसेप्रा冰箱。 भगवानकेचा冰箱वर, श्रीद्वा冰箱ानविष्णुकीभक्तिकरनेकेलिएचल दिये।
जबदिकोंसेयययणणनहींनहींनहींनेनेनेनेनेनेनेनेण
इससृषटिकचलतेचलतेनननणुणुणुकेकेकेेणियोंेणियोंेणियोंेणियोंेणियोंेणियोंेणियोंमें
इनचारप्冰箱ेभगवानविष्णुकोचतु 你थोंमेंचा冰箱冰箱ेनेपड़े।
भगवणुीहिनेहिनेमेंमेंमेंमेंमेंजिससेतततततोंतोंतोंकक भगवथथमेंमेंशंखशंखमेंनीनीकोकोकोमोकषगतिषगतिषगतिदेतेदेतेदेतेहैंहैंहैंहैंएवंएवंएवंनीचेयेंयेंयेंथथथथथमें वसनकोकोकीकीकीकेकेके
भगवकेकेणुममममेंमेंएकएकममम,यहहैंहैंहैंहैंयहयहयहयह मूलसूचकहोनेकेकारण भगवान अनन्त है उनके चरित्र भी अनन्त है। अतःउनकेभीभीहैहैइसीइसीणण-समय-समयसमयलेतेलेतेलेते यदिकोईतिकेकेगुणोंगुणोंणनणननेलगेतोतोभीभीवहथक महघुवंशमेंमेंमेंओंओंददनववणनणनणन
महिमानं यदुत्कीर्त्य तवसंहियते वचः।
श्रमेणतदशक्त्यावानगुणानाभियत्तया।
अआपकेवकीककेकेजोहमहेहैंहैंहैंहैं
जिस प्रकार समय-समय पर प्रकृति में परिवर्तन होता है, वैसे ही मनुष्य की बुद्धि में परिवर्तन होता है उसी प्रकार भगवान अनन्त विष्णु अपना कोई प्रयोजन न रहने पर धर्म संरक्षण एवं साधु अर्थात् श्रेष्ठ व्यक्तियों की रक्षा और सृष्टि पर कृपा करने के लिये शरीर धारण करतेहैं। इसीलियेइसीलियेमेंमेंअठऋषियोंऋषियोंकोदेतेहुएषिषिषि
अवतारा ह्यसंख्येया हरेः
यथाविदासनः कुल्याः सरसः स्युः
जिसजिसकिसी
इस प्रकार भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों का शास्त्रें में वर्णन है और प्रत्येक अवतार में अपने काल में किसी विशेष प्रयोजन तथा विशेष कार्य के लिये ही अवतार लिया, हर अवतार के पीछे बहुत बड़ी रहस्य गाथा और वर्णन हैं यहां संक्षेप में इन चौबीस अवतारों के नाम इस प्रकार हैं- सनत्कुमार, वाराह, नारद, नर-नारायणी, कपिलदेव, दतात्रेय, यज्ञपुरूष, ऋषभदेव, आदिराज पृथु, मत्स्य, कूर्म, धन्वतरि, श्रीमोहिनी, भगवान नृसिंह, भगवान वामन, भगवान परशुराम, भगवान व्यास, भगवान हंस, भगवान श्रीराम , भगवान श्रीकृष्ण, भगवान हयग्रीव, भगवान हरि, भगवान बुद्ध और भगवान कल्कि उन सब अवतारों में सबसे अधिक विशेष बात यह हैं कि विष्णु की मूल शक्ति लक्ष्मी प्रत्येक अवतार में उनके साथ ही रही है, जैसे नरायण अवतार में भगवती रूप में, कृष्ण अवतार में,ूप,श,श,श,श,उलमेंूप,उलमेंहैहैहैहैहैहैहैनननविषणुकेकेकिसीकिसीकिसीकिसीकिसी अर्थात् जहां अनन्त श्री विष्णु है, वह श्रीलक्ष्मी है, और जहां श्रीलक्ष्मी है वहां अच्युत अर्थात् भगवान विष्णु है, इसीलिये लक्ष्मी को अच्युत वल्लभा आदित्यवर्णा, ज्वलन्ति, तृप्ता, देवजृष्ट, नैत्यपूष्टा, पप्रिनी, पुष्टि, भगवती, विष्णुमनोनुकूला, श्री-हरिवल्लभा इत्यादि नामों से कहा गया है। इसयहयहहैहैकिकिकीनेनेनेसेसेसेमीमीमीमीनननननहोतीहोतीहै
शलककेकेमेंमेंमेंणोंदि जिससेसेअमृतघटघटनवनवनवउसेककककनेनेनेनेकेलिएहोहोहोहोउठेतोननननननविषणुनेनेनेनेनेमोहिनीमोहिनीमोहिनीमोहिनीमोहिनी
मनुषहैहैवहनविषहीहीएकहैहैहैहैहैहैहैहैहैयोंकियोंकियोंकियोंकियोंकिन यदिवहहैहैहैहैअपनेजीवनजीवनमेंमेंणुकेकेकेकेकेकोकोकोकोकोकोकोीीीीीीहहहहहहहहहसेसे जो स्वयं अपना पालन और दूसरों का पालन नहीं कर सकता है, उसका जीवन अनुकूल नहीं है, यहां पालन करने का तात्पर्य केवल अन्न और धन से नहीं है, अपितु ज्ञान द्वारा, कर्म द्वारा अपने जीवन में और दूसरों के जीवन में आनन्द का संचार करना है। हैहै वेदों में जिस प्रथम पुरूष का उल्लेख आया है, वह विष्णु ही है और उनकी शक्ति प्रकृति ही है, इसी प्रकार शिव और शक्ति का भी संयोग है, हिन्दु धर्म पांच संप्रदायों में विभक्त हो गया है, यह संप्रदाय वैष्णव संप्रदाय, शैव संप्रदाय, शाक्त संप्रदाय, सौर संप्रदाय लेकिनइनसबमंतंतंतंतएकहैकिकिकिसकिसकिसकिसकिसअअअअथयय यहां कुण्डलिनी जाग्रत का तात्पर्य वह जिसमेंअअअनननशशककमगगगगततततकी जबजबनहैहैतोउसेजीवनकेकेमिकमिकमिकमिकमिकजीवनजीवनजीवनकेके
पुूषविषकोकोशिव यहीलकहैहैकिकिमैंमैंकेकेकेकेनननययययय,शौशौयय,कीकी इसकेथअपनेमेंमेंशिवकेकेण नेतोकहैलनलनलनजीवन इसीलियेततमेंमेंमेंचचतुदशीतुदशीतुदशी जोूषइनदोमेंमेंभीभीभीनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींनहींवहअपनेअपनेजीवनजीवनमेंमेंकुछकलललललकेके होहैयहउसकेववकेकेकेफलफलफलफलफलफलफलफलहोहोहोलेकिनलेकिन पूणकीतोववहैहैजिसमेंजिसमेंजिसमेंजिसमेंववहोहो विषणुशिवशिवदोनोंदोनोंहीजीवनको
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