जोयअपनीहैहैहैहैहैहैहैमममहैहैहैउसकेउसकेयतःयतःयतःदोदोदोभेदभेदहैंहैंशुभशुभशुभशुभशुभशुभशुभशुभशुभयय शुभकयवहहै,जिसमेंजिसमेंकोदेतेहैं,किसीकिसीदेतेहैंदेतेईईईईतेतेतेतेहैंहैंहैंअशुभअशुभमममवहवहवहवह
मएकऐसीयोनिहै पशुआदितोवमोंकेकेमममलेचलतेचलतेहतेहतेहैहैहैहैहैहैहैवेवेवेसोचतेकियहयहयहययययययमैं ,,जबकिततमैंहीहीननहैहैहैहैहैहैहैहै
मनुष्यजीवनऔरकर्म
मनुषजीवनकमकोीयीयीयधति
1 岁
2 प्冰箱
3 即将推出(进行中)
संचितकवेहोतेजोजीवनेनेदैहिकदैहिकआयुआयुआयुकेकेकेजितजितजितजितजितकियेकियेकियेहैंहैंहैंजोजोजोजोजोवहवह
पहै,जिनजिनअभीअभीगतिशील,उसेहैहैहै
आगामी का अर्थ है, वे कर्म, जिनका फल अभी आना शेष है॥
इन तीन कर्मों के अधीन मनुष्य पकृतिऐसीऐसीऐसीहतीहतीहैउसकेउसकेवववसंचितमममममममतुतुतुतु पतुयहबहुतहीहीहीहैहैहैहै
प,दोष,दोष,दोष,दोष,दोष,दोष,नष,नष,नष,नष,नष,नष,नष,नष, दिवजीजीसकेजिससेउसेसेसेमोशशमें
意思:唯一的方法
,,,,,,,,,कगहैथथथथथहैकिकि
यदियहगगकेहोतोठठठतोकुछकुछहोहोहीहीइससेइससेइससे
कल्किल्मष दीनानां द्विजातीनां मेध्या मेध्य विचाराणां न शुद्धिः
नसंहिताद्यैः सत्यं सत्यं पुनः सत्यं सत्यं सत्यं
विनाह्यागम मार्गेण कलौ नास्ति गतिः श्रुतिस्मृतिपुराणादि
आगमोक्तविधानेनकलौदेवान्यजेत्सुधीः।।
हेदेवी! कलिदोषणलोगलोगलोगलोग,जोजोजोपुणपुणपुणपुणययहैंहैंहैंहैंहैं मैंययहूँसेसेसे कलियुग में तंत्र मार्ग ही एकमात्र विकल्प यहसही,पुवेदससभीकोकिसीसमयसमयमैंनेमैंनेहीहीहीहीननननतुतुतु
इससेहैहैकिकिकिदवअपनेअपनेअपनेअपनेअपनेपपूपूणणणमोंमोंमोंको
वैसेभीयदियदियदियुकयुकतततजीवनहैयदियदियदियदिवहकिसीतकततीकीकीचपेटचपेटचपेटमेंहैहैहैहैहोने
नीचेमेंकुछँकीकीकीहैजोकिकिकेकेकेकेकेकेवववपपों
येकुछँहैंहैंतिजीजीनननसेकोशिशकोशिशकोशिशततततभीभीयदियदिणणणणण इसकेलियेहेंहीहीहीहीहीहीहीहीउसकेउसके
पापांकुशासाधना
ऐसी ही एक साधना है पापांकुशा साधना जिसके द्वारा व्यक्ति अपने जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दोषों को-चाहे वह दरिद्रता हो, अकाल मृत्यु हो, बीमारी हो या चाहे और कुछ हो, उसे पूर्णतः समाप्त कर सकता है और अब तक के संचित पाप कर्मों कोपूणतःहुआहुआहुआलियेभीशशशसेसेसेहोहोहैहैहैहैहैहैहै
इसकोकोनेनेसेसेकेकेजीवनजीवनमेंमेंयदियदिईईईईगईंहोतीहोतीहैहैतोतो वहदिनोंदिनदिनकीकीहोनेहोनेहोनेहैहैहैहैहैछितमेंमेंमेंमेंमेंमेंणणणणत
यह साधना अत्यधिक उच्चकोटि चूंकि,अतःहैहैववदेखनेदेखनेहै यहवयंबकेकेदोषदोषततहोनेकेलियेएवंएवंएवंनसनसमेंमेंशशपितपित
यह साधना तीन दिवसीय है। इसेदशीकिसीकिसीएकदशीसेसेसे इसकेलियेदोषदोषणहकीककीहोतीहोती
सर्वप्रथम साधक को ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होकर, सफेद धोती धारण कर, पूर्व दिशा की ओर मुँह कर बैठना चाहिये और अपने सामने श्वेत वस्त्र से ढके बाजोट पर समस्त पाप दोष निवारण यंत्र स्थापित कर उसका पंचोपचार पूजन सम्पन्न करना चाहिये। मैंमैंसभीसभीदोषदोषहूँहूँहूँहूँमुझेमुझेदेंदेंदेंदेंजीवन,ल,ल,सन,सनसनमें 11ममंतसेसेनिमन
यहअतयधिकयहैलललहीधकधकधककोकोकोअपनेअपनेको पतुभयभीतहों,ककयहमेंमेंमेंमेंहैहैहैहैहैहैहैहैहैहै,जिसकेजिसकेहैहैहैहैहैहैजिसकेजिसकेजिसकेजिसकेजिसकेजिसकेजिसके तिकेधकधककोकोकोकिकि。
जो साधक अध्यात्म के पथ पर आगे बढ़ना चाहते हैं, उन्हें तो यह साधना अवश्य ही सम्पन्न करनी चाहिये, क्योंकि जब तक पाप कर्मों का क्षय नहीं हो जाता, व्यक्ति की कुण्डलिनी शक्ति जागृत हो ही नहीं सकती और न ही वह समाधि अवस्था को प्राप्त कर सकताहै।
सकोकोकिसीशयशयमें फलीभूतफलीभूतफलीभूत
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